चौदहवें समुल्लास भाग -8
१३१- और अल्लाह वह पुरुष है कि भेजता है हवाओं को बस उठाती हैं बादलों को, बस हांक लेते हैं तर्फ शहर मुर्दे की, बस जीवित किया हम ने साथ उस के पृथिवी को पीछे मृत्यु उस की के, इसी प्रकार कबरों में से निकालना है।। जिस ने उतारा बीच घर सदा रहने के दया अपनी से, नहीं लगती हम को बीच उस के मेहनत और नहीं लगती बीच उस के माँदगी।। - मं० ५। सि० २२। सू० ३५। आ० ९। ३५।।
(समीक्षक) वाह क्या फिलासफी खुदा की है। भेजता है वायु को, वह उठाता फिरता है बद्दलों को! और खुदा उस से मुर्दों को जिलाता फिरता है! यह बात ईश्वर सम्बन्धी कभी नहीं हो सकती, क्योंकि ईश्वर का काम निरन्तर एक सा होता रहता है। जो घर होंगे वे विना बनावट के नहीं हो सकते और जो बनावट का है वह सदा नहीं रह सकता। जिस के शरीर है वह परिश्रम के विना दुःखी होता और शरीर वाला रोगी हुए विना कभी नहीं बचता। जो एक स्त्री से समागम करता है वह विना रोग के नहीं बचता तो जो बहुत स्त्रियों से विषयभोग करता है उस की क्या ही दुर्दशा होती होगी? इसलिये मुसलमानों का रहना बहिश्त में भी सुखदायक सदा नहीं हो सकता।।१३१।।
१३२- कसम है कुरान दृढ़ की।। निश्चय तू भेजे हुओं से है।। ऊपर मार्ग सीधे के।। उतारा है गालिब दयावान् ने।। - मं० ५। सि० २३। सू० ३६। आ० २। ३। ४। ५।।
(समीक्षक) अब देखिये! यह कुरान खुदा का बनाया होता तो वह इस की सौगन्द क्यों खाता? यदि नबी खुदा का भेजा होता तो (लेपालक) बेटे की स्त्री पर मोहित क्यों होता? यह कथनमात्र है कि कुरान के मानने वाले सीधे मार्ग पर हैं। क्योंकि सीधा मार्ग वही होता है जिस में सत्य मानना, सत्य बोलना, सत्य करना, पक्षपात रहित न्याय धर्म्म का आचरण करना आदि हैं और इन से विपरीत का त्याग करना। सो न कुरान में न मुसलमानों में और न इन के खुदा में ऐसा स्वभाव है। यदि सब पर प्रबल पैगम्बर मुहम्मद साहेब होते तो सब से अधिक विद्यावान् और शुभगुणयुक्त क्यों न होते? इसलिये जैसे कूंजड़ी अपने बेरों को खट्टा नहीं बतलाती वैसी यह बात भी है।।१३२।।
१३३- और फूंका जावेगा बीच सूर के बस नागहां व कबरों में से तर्फ मालिक अपने की दौडे़गें ।। और गवाही देंगे पांव उन के साथ उस वस्तु के थे कमाते।। सिवाय इसके नहीं कि आज्ञा उस की जब चाहे उत्पन्न करना किसी वस्तु को यह कि कहता वास्ते उस के कि ‘हो जा’, बस हो जाता है।। - मं० ५। सि० २३। सू० ३६। आ० ५१। ६६। ८२।।
(समीक्षक) अब सुनिये ऊटपटांग बातें! पग कभी गवाही दे सकते हैं? खुदा के सिवाय उस समय कौन था जिस को आज्ञा दी? किस ने सुनी? और कौन बन गया? यदि न थी तो यह बात झूठी और जो थी तो वह बात-जो सिवाय खुदा के कुछ चीज नहीं थी और खुदा ने सब कुछ बना दिया- वह झूठी।।१३३।।
१३४- फिराया जावेगा उनके ऊपर पियाला शराब शुद्ध का।। सफेद मजा देने वाली वास्ते पीने वालों के।। समीप उन के बैठी होंगी नीचे आंख रखने वालियाँ, सुन्दर आंखों वालियां।। मानो कि वे अण्डे हैं छिपाये हुए।। क्या बस हम नहीं मरेंगे।। और अवश्य लूत निश्चय पैगम्बरों से था।। जब कि मुक्ति दी हम ने उस को और लोगों उस के को सब को।। परन्तु एक बुढ़िया पीछे रहने वालों में है।। फिर मारा हम ने औरों को।। - मं० ६। सि० २३। सू० ३७। आ० ४५। ४६। ४८। ४९। ५६। १२७। १२८। १२९।।
(समीक्षक) क्यों जी! यहां तो मुसलमान लोग शराब को बुरा बतलाते हैं परन्तु इन के स्वर्ग में तो नदियां की नदियां बहती हैं। इतना अच्छा है कि यहां तो किसी प्रकार मद्य पीना छुड़ाया परन्तु यहां के बदले वहाँ उन के स्वर्ग में बड़ी खराबी है! मारे स्त्रियों के वहाँ किसी का चित्त स्थिर नहीं रहता होगा! और बड़े-बड़े रोग भी होते होंगे! यदि शरीर वाले होंगे तो अवश्य मरेंगे और जो शरीर वाले न होंगे तो भोग विलास ही न कर सकेंगे। फिर उन के स्वर्ग में जाना व्यर्थ है। यदि लूत को पैगम्बर मानते हो तो जो बाइबल में लिखा है कि उससे उसकी लड़कियों ने समागम करके दो लड़के पैदा किये इस बात को भी मानते हो वा नहीं? जो मानते हो तो ऐसे को पैगम्बर मानना व्यर्थ है। और जो ऐसे और ऐसे के सिंगयों को खुदा मुक्ति देता है तो वह खुदा भी वैसा ही है। क्योंकि बुढ़िया की कहानी कहने वाला और पक्षपात से दूसरों को मारने वाला खुदा कभी नहीं हो सकता। ऐसा खुदा मुसलमानों ही के घर में रह सकता है; अन्यत्र नहीं।।१३४।।
१३५- बहिश्तें हैं सदा रहने की खुले हुए हैं दर उन के वास्ते उन के।। तकिये किये हुए बीच उन के मंगावेंगे बीच इस के मेवे और पीने की वस्तु।। और समीप होंगी उनके, नीचे रखने वालियां दृष्टि और दूसरों से समायु।। बस सिजदा किया फरिश्तों ने सब ने।। परन्तु शैतान ने न माना अभिमान किया और था काफिरों से।। ऐ शैतान किस वस्तु ने रोका तुझ को यह कि सिजदा करे वास्ते उस वस्तु के कि बनाया मैंने साथ दोनों हाथ अपने के, क्या अभिमान किया तूने वा था तू बड़े अधिकार वालों से ।। कहा कि मैं अच्छा हूँ उस वस्तु से, उत्पन्न किया तूने मुझ को आग से, उस को मट्टी से।। कहा बस निकल इन आसमानों में से, बस निश्चय तू चलाया गया है।। निश्चय ऊपर तेरे लानत है मेरी दिन जजा तक।। कहा ऐ मालिक मेरे, ढील दे उस दिन तक कि उठाये जावेंगे मुर्दे।। कहा कि बस निश्चय तू ढील दिये गयों से है ।। उस दिन समय ज्ञात तक।। कहा कि बस कसम है प्रतिष्ठा तेरी की, अवश्य गुमराह करूंगा उन को मैं इकट्ठे।। - मं० ६। सि० २३। सू० ३८। आ० ४९। ५०। ५१। ५२। ७०। ७१। ७३। ७५। ७६। ७८। ८०। ८१।।
(समीक्षक) यदि वहाँ जैसे कि कुरान में बाग बगीचे नहरें मकानादि लिखे हैं वैसे हैं तो वे न सदा से थे न सदा रह सकते हैं। क्योंकि जो संयोग से पदार्थ होता है वह संयोग के पूर्व न था, अवश्यभावी वियोग के अन्त में न रहेगा। जब वह बहिश्त ही न रहेगा तो उस में रहने वाले सदा क्योंकर रह सकते हैं ? क्योंकि लिखा है कि गद्दी, तकिये, मेवे और पीने के पदार्थ वहाँ मिलेंगे। इससे यह सिद्ध होता है कि जिस समय मुसलमानों का मजहब चला उस समय अर्ब देश विशेष धनाढ्य न था। इसीलिये मुहम्मद साहेब ने तकिये आदि की कथा सुना कर गरीबों को अपने मत में फंसा लिया। और जहाँ स्त्रियां हैं। वहाँ निरन्तर सुख कहां? वे स्त्रियां वहाँ कहां से आई हैं? अथवा बहिश्त की रहने वाली हैं? यदि आई हैं तो जावेंगी और जो वहीं की रहने वाली हैं तो कयामत के पूर्व क्या करती थीं? क्या निकम्मी अपनी उमर को बहा रही थीं? अब देखिये खुदा का तेज कि जिस का हुक्म अन्य सब फरिश्तों ने माना और आदम साहेब को नमस्कार किया और शैतान ने न माना! खुदा ने शैतान से पूछा कहा कि मैंने उस को अपने दोनों हाथों से बनाया, तू अभिमान मत कर। इस से सिद्ध होता है कि कुरान का खुदा दो हाथ वाला मनुष्य था। इसलिए वह व्यापक वा सर्वशक्तिमान् कभी नहीं हो सकता। और शैतान ने सत्य कहा कि मैं आदम से उत्तम हूँ, इस पर खुदा ने गुस्सा क्यों किया? क्या आसमान ही में खुदा का घर है; पृथिवी में नहीं? तो काबे को खुदा का घर प्रथम क्यों लिखा? भला! परमेश्वर अपने में से वा सृष्टि में से अलग कैसे निकाल सकता है? और वह सृष्टि सब परमेश्वर की है। इस से स्पष्ट विदित हुआ कि कुरान का खुदा बहिश्त का जिम्मेदार था। खुदा ने उस को लानत धिक्कार दिया और कैद कर लिया और शैतान ने कहा कि हे मालिक! मुझ को कयामत तक छोड़ दे। खुदा ने खुशामद से कयामत के दिन तक छोड़ दिया। जब शैतान छूटा तो खुदा से कहता है कि अब मैं खूब बहकाऊंगा और गदर मचाऊंगा। तब खुदा ने कहा कि जितनों को तू बहकावेगा मैं उन को दोजख में डाल दूंगा और तुझ को भी। अब सज्जन लोगो विचारिये! कि शैतान को बहकाने वाला खुदा है वा आप से वह बहका? यदि खुदा ने बहकाया तो वह शैतान का शैतान ठहरा। यदि शैतान स्वयं बहका तो अन्य जीव भी स्वयं बहकेंगे; शैतान की जरूरत नहीं। और जिस से इस शैतान बागी को खुदा ने खुला छोड़ दिया, इस से विदित हुआ कि वह भी शैतान का शरीक अधर्म कराने में हुआ। यदि स्वयं चोरी करा के दण्ड देवे तो उस के अन्याय का कुछ भी पारावार नहीं।।१३५।।
१३६- अल्लाह क्षमा करता है पाप सारे, निश्चय वह है क्षमा करने वाला दयालु।। और पृथिवी सारी मूठी में है उस की दिन कयामत के और आसमान लपेटे हुए हैं बीच दाहिने हाथ उसके के।। और चमक जावेगी पृथिवी साथ प्रकाश मालिक अपने के और रक्खे जावेंगे कर्मपत्र और लाया जावेगा पैगम्बरों को और गवाहों को और फैसला किया जावेगा।। - मं० ६। सि० २४। सू० ३९। आ० ५३। ६७। ६९।।
(समीक्षक) यदि समग्र पापों को खुदा क्षमा करता है तो जानो सब संसार को पापी बनाता है और दयाहीन है क्योंकि एक दुष्ट पर दया और क्षमा करने से वह अधिक दुष्टता करेगा और अन्य बहुत धर्मात्माओं को दुःख पहुँचावेगा। यदि किञ्चित् भी अपराध क्षमा किया जावे तो अपराध ही अपराध जगत् में छा जावे। क्या परमेश्वर अग्निवत् प्रकाश वाला है? और कर्मपत्र कहां जमा रहते हैं? और कौन लिखता है? यदि पैगम्बरों और गवाहों के भरोसे खुदा न्याय करता है तो वह असर्वज्ञ और असमर्थ है । यदि वह अन्याय नहीं करता न्याय ही करता है तो कर्मों के अनुसार करता होगा। वे कर्म पूर्वापर वर्त्तमान जन्मों के हो सकते हैं तो फिर क्षमा करना, दिलों पर ताला लगाना और शिक्षा न करना, शैतान से बहकवाना, दौरा सुपुर्द रखना केवल अन्याय है।।१३६।।
१३७- उतारना किताब का अल्लाह गालिब जानने वाले की ओर से है।। क्षमा करने वाला पापों का और स्वीकार करने वाला तोबाः का।। - मं० ६। सि० २४। सू० ४०। आ० १। २। ३।।
(समीक्षक) यह बात इसलिये है कि भोले लोग अल्लाह के नाम से इस पुस्तक को मान लेवें कि जिस में थोड़ा सा सत्य छोड़ असत्य भरा है और वह सत्य भी असत्य के साथ मिलकर बिगड़ा सा है। इसीलिये कुरान और कुरान का खुदा और इस को मानने वाले पाप बढ़ाने हारे और पाप करने कराने वाले हैं। क्योंकि पाप का क्षमा करना अत्यन्त अधर्म है। किन्तु इसी से मुसलमान लोग पाप और उपद्रव करने में कम डरते हैं।।१३७।।
१३८- बस नियत किया उस को सात आसमान बीच दो दिन के, और डाल दिया बीच हम ने उस के काम उस का।। यहां तक कि जब जावेंगे उस के पास साक्षी देंगे ऊपर उन के कान उन के और आंखें उन की और चमड़े उन के कर्म से।। और कहेंगे वास्ते चमड़े अपने के क्यों साक्षी दी तू ने ऊपर हमारे, कहेंगे कि बुलाया है हम को अल्लाह ने जिस ने बुलाया हर वस्तु को।। अवश्य जिलाने वाला है मुर्दों को।। - मं० ६। सि० २४। सू० ४१। आ० १२। २०। २१। ३९।।
(समीक्षक) वाह जी वाह मुसलमानो ! तुम्हारा खुदा जिस को तुम सर्वशक्तिमान् मानते हो वह सात आसमानों को दो दिन में बना सका? और जो सर्वशक्तिमान् है वह क्षणमात्र में सब को बना सकता है। भला कान, आंख और चमड़े को ईश्वर ने जड़ बनाया है वे साक्षी कैसे दे सकेंगे? यदि साक्षी दिलावे तो उस ने प्रथम जड़ क्यों बनाये? और अपना पूर्वापर काम नियमविरुद्ध क्यों किया? एक इस से भी बढ़ कर मिथ्या बात यह कि जब जीवों पर साक्षी दी तब वे जीव अपने-अपने चमड़े से पूछने लगे कि तूने हमारे पर साक्षी क्यों दी? चमड़ा बोलेगा खुदा ने दिलायी मैं क्या करूं! भला यह बात कभी हो सकती है? जैसे कोई कहे कि बन्ध्या के पुत्र का मुख मैंने देखा, यदि पुत्र है तो बन्ध्या क्यों? जो बन्ध्या है तो उस के पुत्र ही होना असम्भव है। इसी प्रकार की यह भी मिथ्या बात है। यदि वह मुर्दों को जिलाता है तो प्रथम मारा ही क्यों? क्या आप भी मुर्दा हो सकता है वा नहीं? यदि नहीं हो सकता तो मुर्देपन को बुरा क्यों समझता है? और कयामत की रात तक मृतक जीव किस मुसलमान के घर में रहेंगे? और दौरासुपुर्द खुदा ने विना अपराध क्यों रक्खा? शीघ्र न्याय क्यों न किया? ऐसी-ऐसी बातों से ईश्वरता में बट्टा लगता है।।१३८।।
१३९- वास्ते उस के कुंजियां हैं आसमानों की और पृथिवी की, खोलता है भोजन जिस के वास्ते चाहता है और तंग करता है।। उत्पन्न करता है जो कुछ चाहता है और देता है जिस को चाहे बेटियां और देता है जिस को चाहे बेटे।। वा मिला देता है उन को बेटे और बेटियाँ और कर देता है जिस को चाहे बाँझ।। और नहीं है शक्ति किसी आदमी को कि बात करे उस से अल्लाह परन्तु जी में डालने कर वा पीछे परदे१ के से वा भेजे फरिश्ते पैगाम लाने वाला।। - मं० ६। सि० २५। सू० ४२। आ० १०। १२।४७। ४८। ४९।।
(समीक्षक) खुदा के पास कुञ्जियों का भण्डार भरा होगा। क्योंकि सब ठिकाने के ताले खोलने होते होंगे! यह लड़कपन की बात है। क्या जिस को चाहता है उस को विना पुण्य कर्म के ऐश्वर्य देता है? और विना पाप के तंग करता है? यदि ऐसा है तो वह बड़ा अन्यायकारी है। अब देखिये कुरान बनाने वाले की चतुराई! कि जिस से स्त्रीजन भी मोहित हो के फसें। यदि जो कुछ चाहता है उत्पन्न करता है तो दूसरे खुदा को भी उत्पन्न कर सकता है वा नहीं? यदि नहीं कर सकता तो सर्वशक्तिमत्ता यहां पर अटक गई। भला मनुष्यों को तो जिस को चाहे बेटे बेटियां खुदा देता है परन्तु मुरगे, मच्छी, सूअर आदि जिन के बहुत बेटा बेटियां होती हैं कौन देता है? और स्त्री पुरुष के समागम विना क्यों नहीं देता? किसी को अपनी इच्छा से बांझ रख के दुःख क्यों देता है? वाह! क्या खुदा तेजस्वी है कि उस के सामने कोई बात ही नहीं कर सकता! परन्तु उसने पहले कहा है कि पर्दा डाल के बात कर सकता है वा फरिश्ते लोग खुदा से बात करते हैं अथवा पैगम्बर। जो ऐसी बात है तो फरिश्ते और पैगम्बर खूब अपना मतलब करते होंगे! यदि कोई कहे खुदा सर्वज्ञ सर्वव्यापक है तो परदे से बात करना अथवा डाक के तुल्य खबर मंगा के जानना लिखना व्यर्थ है। और जो ऐसा ही है तो वह खुदा ही नहीं किन्तु कोई चालाक मनुष्य होगा। इसलिये यह कुरान ईश्वरकृत कभी नहीं हो सकता।।१३९।।
१४०- और जब आया ईसा साथ प्रमाण प्रत्यक्ष के।। - मं० ६। सि० २५। सू० ४३। आ० ६३।।
(समीक्षक) यदि ईसा भी भेजा हुआ खुदा का है तो उस के उपदेश से विरुद्ध कुरान खुदा ने क्यों बनाया? और कुरान से विरुद्ध इञ्जील क्यों की? इसीलिये ये किताबें ईश्वरकृत नहीं हैं।।१४०।।
१४१- पकड़ो उस को बस घसीटो उस को बीचों बीच दोजख के।। इसी प्रकार रहेंगे और व्याह देंगे उन को साथ गोरियों अच्छी आंखों वालियों के।। - मं० ६। सि० २५। सू० ४४। आ० ४७। ५४।।
(समीक्षक) वाह! क्या खुदा न्यायकारी होकर प्राणियों को पकड़ाता और घसीटवाता है? जब मुसलमानों का खुदा ही ऐसा है तो उस के उपासक मुसलमान अनाथ निर्बलों को पकड़ें घसीटें तो इस में क्या आश्चर्य है? और वह संसारी मनुष्यों के समान विवाह भी कराता है, जानो कि मुसलमानों का पुरोहित ही है।।१४१।।
१- इस आयत के भाष्य ‘तफसीरहुसैनी’ में लिखा है कि मुहम्मद साहेब दो परदों में थे और खुदा की आवाज सुनी। एक पर्दा जरी का था दूसरा श्वेत मोतियों का और दोनों परदों के बीच में सत्तर वर्ष चलने योग्य मार्ग था ? बुद्धिमान् लोग इस बात को विचारें कि यह खुदा है वा परदे की ओट बात करने वाली स्त्री ? इन लोगों ने तो ईश्वर ही की दुर्दशा कर डाली। कहां वेद तथा उपनिषदादि सद्ग्रन्थों में प्रतिपदित शुद्ध परमात्मा और कहां कुरानोक्त परदे की ओट से बात करने वाला खुदा! सच तो यह है कि अरब के अविद्वान् लोग थे, उत्तम बात लाते किस के घर से।
१४२- बस जब तुम मिलो उन लोगों से कि काफिर हुए बस मारो गर्दनें उन की यहां तक कि जब चूर कर दो उन को बस दृढ़ करो कैद करना।। और बहुत बस्तियां हैं कि वे बहुत कठिन थीं शक्ति में बस्ती तेरी से, जिस ने निकाल दिया तुझ को मारा हम ने उन को, बस न कोई हुआ सहाय देने वाला उन का।। तारीफ उस बहिश्त की कि प्रतिज्ञा किये गये हैं परहेजगार, बीच उस के नहरें हैं बिन बिगड़े पानी की, और नहरें हैं दूध की कि नहीं बदला मजा उन का, और नहरें हैं शराब की मजा देने वाली वास्ते पीने वालों के और नहरें हैं शहद साफ किये गये की और वास्ते उन के बीच उस के मेवे हैं प्रत्येक प्रकार से दान मालिक उन के से।। - मं० ६। सि० २६। सू० ४७। आ० ४। १३। १५।।
(समीक्षक) इसी से यह कुरान खुदा और मुसलमान गदर मचाने, सब को दुःख देने और अपना मतलब साधने वाले दयाहीन हैं। जैसा यहां लिखा है वैसा ही दूसरा कोई दूसरे मत वाला मुसलमानों पर करे तो मुसलमानों को वैसा ही दुःख जैसा कि अन्य को देते हैं हो वा नहीं? और खुदा बड़ा पक्षपाती है कि जिन्होंने मुहम्मद साहेब को निकाल दिया उनको खुदा ने मारा। भला! जिसमें शुद्ध पानी, दूध, मद्य और शहद की नहरें हैं वह संसार से अधिक हो सकता है? और दूध की नहरें कभी हो सकती हैं? क्योंकि वह थोड़े समय में बिगड़ जाता है! इसीलिये बुद्धिमान् लोग कुरान के मत को नहीं मानते।।१४२।।
१४३- जब कि हिलाई जावेगी पृथिवी हिलाये जाने कर।। और उड़ाये जावेंगे पहाड़ उड़ाये जाने कर।। बस हो जावेंगे भुनगे टुकड़े-टुकड़े।। बस साहब दाहनी ओर वाले क्या हैं साहब दाहनी ओर के।। और बाईं ओर वाले क्या हैं बाईं ओर के।। ऊपर पलंग सोने के तारों से बुने हुए हैं।। तकिये किये हुए हैं ऊपर उनके आमने-सामने।। और फिरेंगे ऊपर उनके लड़के सदा रहने वाले।। साथ आबखोरों के और आफताबों के और प्यालों के शराब साफ से ।। नहीं माथा दुखाये जावेंगे उस से और न विरुद्ध बोलेंगे।। और मेवे उस किस्म से कि पसन्द करें।। और गोश्त जानवर पक्षियों के उस किस्म से कि पसन्द करें।। और वास्ते उन के औरतें हैं अच्छी आंखों वाली।। मानिन्द मोतियों छिपाये हुओं की।। और बिछौने बड़े।। निश्चय हम ने उत्पन्न किया है औरतों को एक प्रकार का उत्पन्न करना है।। बस किया है हम ने उन को कुमारी।। सुहागवालियां बराबर अवस्था वालियां।। बस भरने वाले हो उस से पेटों को।। बस कसम खाता हूँ मैं साथ गिरने तारों के।। - मं० ७। सि० २७। सू० ५६। आ० ४। ५। ६। ८। ९। १५। १६। १७। १८। १९। २०। २१। २२। २३। ३३। ३४। ३५। ३६। ३७। ३८। ५३।।
(समीक्षक) अब देखिये कुरान बनाने वाले की लीला को! भला पृथिवी तो हिलती ही रहती है उस समय भी हिलती रहेगी। इस से यह सिद्ध होता है कि कुरान बनाने वाला पृथिवी को स्थिर जानता था! भला पहाड़ों को क्या पक्षीवत् उड़ा देगा? यदि भुनगे हो जावेंगे तो भी सूक्ष्म शरीरधारी रहेंगे तो फिर उन का दूसरा जन्म क्यों नहीं? वाह जी ! जो खुदा शरीरधारी न होता तो उस के दाहिनी ओर और बाईं ओर कैसे खड़े हो सकते? जब वहाँ पलंग सोने के तारों से बुने हुए हैं तो बढ़ई सुनार भी वहाँ रहते होंगे और खटमल काटते होंगे जो उन को रात्रि में सोने भी नहीं देते होंगे। क्या वे तकिये लगाकर निकम्मे बहिश्त में बैठे ही रहते हैं वा कुछ काम किया करते हैं? यदि बैठे ही रहते होंगे तो उन को अन्न पचन न होने से वे रोगी होकर शीघ्र मर भी जाते होंगे? और जो काम किया करते होंगे तो जैसे मेहनत मजदूरी यहां करते हैं वैसे ही वहाँ परिश्रम करके निर्वाह करते होंगे फिर यहां से वहाँ बहिश्त में विशेष क्या है? कुछ भी नहीं। यदि वहाँ लड़के सदा रहते हैं तो उन के माँ बाप भी रहते होंगे और सासू श्वसुर भी रहते होंगे तब तो बड़ा भारी शहर बसता होगा फिर मल मूत्रदि के बढ़ने से रोग भी बहुत से होते होंगे क्योंकि जब मेवे खावेंगे, गिलासों में पानी पीवेंगे और प्यालों से मद्य पीवेंगे न उन का सिर दूखेगा और न कोई विरुद्ध बोलेगा यथेष्ट मेवा खावेंगे और जानवरों तथा पक्षियों के मांस भी खावेंगे तो अनेक प्रकार के दुःख, पक्षी, जानवर वहाँ होंगे, हत्या होगी और हाड़ जहाँ तहां बिखरे रहेंगे और कसाइयों की दुकानें भी होंगी। वाह क्या कहना इनके बहिश्त की प्रशंसा कि वह अरब देश से भी बढ़ कर दीखती है!!! और जो मद्य मांस पी खा के उन्मत्त होते हैं इसी लिये अच्छी-अच्छी स्त्रियां और लौंडे भी वहाँ अवश्य रहने चाहिये नहीं तो ऐसे नशेबाजों के शिर में गरमी चढ़ के प्रमत्त हो जावें। अवश्य बहुत स्त्री पुरुषों के बैठने सोने के लिये बिछौने बड़े-बड़े चाहिये। जब खुदा कुमारियों को बहिश्त में उत्पन्न करता है तभी तो कुमारे लड़कों को भी उत्पन्न करता है। भला! कुमारियों का तो विवाह जो यहां से उम्मीदवार हो कर गये हैं उन के साथ खुदा ने लिखा पर उन सदा रहने वाले लड़कों का भी किन्हीं कुमारियों के साथ विवाह न लिखा तो क्या वे भी उन्हीं उम्मीदवारों के साथ कुमारीवत् दे दिये जावेंगे? इस की व्यवस्था कुछ भी न लिखी। यह खुदा में बड़ी भूल क्यों हुई? यदि बराबर अवस्था वाली सुहागिन स्त्रियाँ पतियों को पा के बहिश्त में रहती हैं तो ठीक नहीं हुआ क्योंकि स्त्रियों से पुरुष का आयु दूना ढाई गुना चाहिये, यह तो मुसलमानों के बहिश्त की कथा है। और नरक वाले सिहोड़ अर्थात् थोर के वृक्षों को खा के पेट भरेंगे तो कण्टक वृक्ष भी दोजख में होंगे तो कांटे भी लगते होंगे और गर्म पानी पीयेंगे इत्यादि दुःख दोजख में पावेंगे।। कसम का खाना प्रायः झूठों का काम है; सच्चों का नहीं। यदि खुदा ही कसम खाता है तो वह भी झूठ से अलग नहीं हो सकता।।१४३।।
१४४- निश्चय अल्लाह मित्र रखता है उन लोगों को कि लड़ते हैं बीच मार्ग उसके के।। - मं० ७। सि० २८। सू० ६१। आ० ४।।
(समीक्षक) वाह ठीक है! ऐसी-ऐसी बातों का उपदेश करके विचारे अर्ब देशवासियों को सब से लड़ा के शत्रु बनाकर परस्पर दुःख दिलाया और मजहब का झण्डा खड़ा करके लड़ाई फैलावे ऐसे को कोई बुद्धिमान् ईश्वर कभी नहीं मान सकते।। जो मनुष्य जाति में विरोध बढ़ावे वही सब को दुःखदाता होता है।।१४४।।
१४५- ऐ नबी क्यों हराम करता है उस वस्तु को कि हलाल किया है खुदा ने तेरे लिये, चाहता है तू प्रसन्नता बीबियों अपनी की, और अल्लाह क्षमा करने वाला दयालु है।। जल्दी है मालिक उस का जो वह तुम को छोड़ दे तो यह है कि उस को तुम से अच्छी मुसलमान और ईमान वालियां बीबियां बदल दे सेवा करने वालियां तोबाः करने वालियां भक्ति करने वालियां रोजा रखने वालियां पुरुष देखी हुईं और बिन देखी हुईं।। - मं० ७। सि० २८। सू० ६६। आ० १। ५।।
(समीक्षक) ध्यान देकर देखना चाहिये कि खुदा क्या हुआ मुहम्मद साहेब के घर का भीतरी और बाहरी प्रबन्ध करने वाला भृत्य ठहरा !! प्रथम आयत पर दो कहानियां हैं एक तो यह कि मुहम्मद साहेब को शहद का शर्बत प्रिय था। उन की कई बीबियां थीं उन में से एक के घर पीने में देर लगी तो दूसरियों को असह्य प्रतीत हुआ उन के कहने सुनने के पीछे मुहम्मद साहेब सौगन्ध खा गये कि हम न पीवेंगे। दूसरी यह कि उनकी कई बीबियों में से एक की बारी थी। उसके यहां रात्री को गये तो वह न थी; अपने बाप के यहां गई थी। मुहम्मद साहेब ने एक लौंडी अर्थात् दासी को बुला कर पवित्र किया। जब बीबी को इस की खबर मिली तो अप्रसन्न हो गई। तब मुहम्मद साहेब ने सौगन्ध खाई कि मैं ऐसा न करूँगा। और बीबी से भी कह दिया तुम किसी से यह बात मत कहना। बीबी ने स्वीकार किया कि न कहूँगी। फिर उन्होंने दूसरी बीबी से जा कहा। इस पर यह आयत खुदा ने उतारी ‘जिस वस्तु को हम ने तेरे पर हलाल किया उस को तू हराम क्यों करता है? ’ बुद्धिमान् लोग विचारें कि भला कहीं खुदा भी किसी के घर का निमटेरा करता फिरता है? और मुहम्मद साहेब के तो आचरण इन बातों से प्रकट ही हैं क्योंकि जो अनेक स्त्रियों को रक्खे वह ईश्वर का भक्त वा पैगम्बर कैसे हो सके? और जो एक स्त्री का पक्षपात से अपमान करे और दूसरी का मान्य करे वह पक्षपाती होकर अधर्मी क्यों नहीं और जो बहुत सी स्त्रियों से भी सन्तुष्ट न होकर बाँदियों के साथ फंसे उस की लज्जा, भय और धर्म कहां से रहे? किसी ने कहा है कि- ‘कामातुराणां न भयं न लज्जा’।।
जो कामी मनुष्य हैं उन को अधर्म से भय वा लज्जा नहीं होती। और इन का खुदा भी मुहम्मद साहेब की स्त्रियों और पैगम्बर के झगड़े का फैसला करने में जानो सरपंच बना है। अब बुद्धिमान् लोग विचार लें कि यह कुरान विद्वान् वा ईश्वरकृत है वा किसी अविद्वान् मतलबसिन्धु का बनाया? स्पष्ट विदित हो जाएगा और दूसरी आयत से प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहेब से उन की कोई बीबी अप्रसन्न हो गई होगी, उस पर खुदा ने यह आयत उतार कर उस को धमकाया होगा कि यदि तू गड़बड़ करेगी और मुहम्मद साहेब तुझे छोड़ देंगे तो उन को उन का खुदा तुझ से अच्छी बीबियां देगा कि जो पुरुष से न मिली हों। जिस मनुष्य को तनिक सी बुद्धि है वह विचार ले सकता है कि ये खुदा वुदा के काम हैं वा अपना प्रयोजन सिद्धि के! ऐसी-ऐसी बातों से ठीक सिद्ध है कि खुदा कोई नहीं कहता था केवल देशकाल देखकर अपने प्रयोजन सिद्ध होने के लिए खुदा की तर्फ से मुहम्मद साहेब कह देते थे। जो लोग खुदा ही की तर्फ लगाते हैं उन को हम सब क्या, सब बुद्धिमान् यही कहेंगे कि खुदा क्या ठहरा मानो मुहम्मद साहेब के लिये बीबियां लाने वाला नाई ठहरा!!! ।।१४५।।
१४६- ऐ नबी झगड़ा कर काफिरों और गुप्त शत्रुओं से और सख्ती कर ऊपर उन के।। - मं० ७। सि० २८। सू० ६६। आ० ९।।
(समीक्षक) देखिये मुसलमानों के खुदा की लीला! अन्य मत वालों से लड़ने के लिये पैगम्बर और मुसलमानों को उचकाता है इसीलिये मुसलमान लोग उपद्रव करने में प्रवृत्त रहते हैं। परमात्मा मुसलमानों पर कृपादृष्टि करे जिस से ये लोग उपद्रव करना छोड़ के सब से मित्रता से वर्त्तें।।१४६।।१४७-फट जावेगा आसमान, बस वह उस दिन सुस्त होगा।। और फरिश्ते होंगे ऊपर किनारों उस के के; और उठावेंगे तख्त मालिक तेरे का ऊपर अपने उस दिन आठ जन।। उस दिन सामने लाये जाओगे तुम, न छिपी रहेगी कोई बात छिपी हुई ।। बस जो कोई दिया गया कर्मपत्र अपना बीच दाहिने हाथ अपने के, बस कहेगा लो पढ़ो कर्मपत्र मेरा।। और जो कोई दिया गया कर्मपत्र बीच बांये हाथ अपने के, बस कहेगा हाथ न दिया गया होता मैं कर्मपत्र अपना।। - मं० ७। सि० २९। सू० ६९। आ० १६। १७। १८। १९। २५।।
(समीक्षक) वाह क्या फिलासफी और न्याय की बात है! भला आकाश भी कभी फट सकता है? क्या वह वस्त्र के समान है जो फट जावे? यदि ऊपर के लोक को आसमान कहते हैं तो यह बात विद्या से विरुद्ध है। अब कुरान का खुदा शरीरधारी होने में कुछ संदिग्ध न रहा । क्योंकि तख्त पर बैठना, आठ कहारों से उठवाना विना मूर्तिमान् के कुछ भी नहीं हो सकता? और सामने वा पीछे भी आना-जाना मूर्तिमान् ही का हो सकता है। जब वह मूर्तिमान् है तो एकदेशी होने से सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान् नहीं हो सकता और सब जीवों के सब कर्मों को कभी नहीं जान सकता। यह बडे़ आश्चर्य की बात है कि पुण्यात्माओं के दाहिने हाथ में पत्र देना, बचवाना, बहिश्त में भेजना और पापात्माओं के बायें हाथ में कर्मपत्र का देना, नरक में भेजना, कर्मपत्र बांच के न्याय करना! भला यह व्यवहार सर्वज्ञ का हो सकता है? कदापि नहीं। यह सब लीला लड़केपन की है।।१४७।।
१४८- चढ़ते हैं फरिश्ते और रूह तर्फ उस की वह अजाब होगा बीच उस दिन के कि है परिमाण उस का पचास हजार वर्ष।। जब कि निकलेंगे कबरों में से दौड़ते हुए मानो कि वह बुतों के स्थानों की ओर दौड़ते हैं। - मं० ७। सि० २९। सू० ७०। आ० ४। ४३।।
(समीक्षक) यदि पचास हजार वर्ष दिन का परिमाण है तो पचास हजार वर्ष की रात्रि क्यों नहीं? यदि उतनी बड़ी रात्रि नहीं है तो उतना बड़ा दिन कभी नहीं हो सकता। क्या पचास हजार वर्षों तक खुदा फरिश्ते और कर्मपत्र वाले खड़े वा बैठे अथवा जागते ही रहेंगे? यदि ऐसा है तो सब रोगी हो कर पुनः मर ही जायेंगे। क्या कबरों से निकल कर खुदा की कचहरी की ओर दौड़ेंगे? उन के पास सम्मन कबरों में क्योंकर पहुँचेंगे? और उन बिचारों को जो कि पुण्यात्मा वा पापात्मा हैं। इतने समय तक सभी को कबरों में दौरेसुपुर्द कैद क्यों रक्खा? और आजकल खुदा की कचहरी बन्ध होगी और खुदा तथा फरिश्ते निकम्मे बैठे होंगे? अथवा क्या काम करते होंगे। अपने-अपने स्थानों में बैठे इधर-उधर घूमते, सोते, नाच तमाशा देखते व ऐश आराम करते होंगे । ऐसा अन्धेर किसी के राज्य में न होगा। ऐसी-ऐसी बातों को सिवाय जंगलियों के दूसरा कौन मानेगा? ।।१४८।।
१४९- निश्चय उत्पन्न किया तुम को कई प्रकार से।। क्या नहीं देखा तुम ने कैसे उत्पन्न किया अल्लाह ने सात आसमानों को ऊपर तले।। और किया चांद को बीच उन के प्रकाशक और किया सूर्य को दीपक।। - मं० ७। सि० २९। सू० ७१। आ० १४। १५। १६।।
(समीक्षक) यदि जीवों को खुदा ने उत्पन्न किया है तो वे नित्य अमर कभी नहीं रह सकते? फिर बहिश्त में सदा क्योंकर रह सकेंगे? जो उत्पन्न होता है वह वस्तु अवश्य नष्ट हो जाता है। आसमान को ऊपर तले कैसे बना सकता है? क्योंकि वह निराकार और विभु पदार्थ है। यदि दूसरी चीज का नाम आकाश रखते हो तो भी उस का आकाश नाम रखना व्यर्थ है। यदि ऊपर तले आसमानों को बनाया है तो उन सब के बीच में चांद सूर्य्य कभी नहीं रह सकते। जो बीच में रक्खा जाय तो एक ऊपर और एक नीचे का पदार्थ प्रकाशित हो दूसरे से लेकर सब में अन्धकार रहना चाहिये। ऐसा नहीं दीखता, इस लिये यह बात सर्वथा मिथ्या है।।१४९।।
१५०- यह कि मसजिदें वास्ते अल्लाह के हैं, बस मत पुकारो साथ अल्लाह के किसी को।। - मं० ७। सि० २९। सू० ७२। आ० १८।।
(समीक्षक) यदि यह बात सत्य है तो मुसलमान लोग ‘लाइलाह इल्लिलाः मुहम्मदर्रसूलल्लाः’ इस कलमे में खुदा के साथ मुहम्मद साहेब को क्यों पुकारते हैं? यह बात कुरान से विरुद्ध है और जो विरुद्ध नहीं करते तो इस कुरान की बात को झूठ करते हैं। जब मसजिदें खुदा के घर हैं तो मुसलमान महाबुत्परस्त हुए। क्योंकि जैसे पुराणी, जैनी छोटी सी मूर्त्ति को ईश्वर का घर मानने से बुत्परस्त ठहरते हैं; ये लोग क्यों नहीं? ।।१५०।।
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This Quran is inscribed and the Muslims are merciless to mutter, cause sorrow to all and carry out their meaning. As it is written here, if someone with another opinion does it on Muslims, then do the Muslims suffer the same as they do to others or not? God is very biased that those who expelled Muhammad Saheb were killed by God. Okey! Which canals of pure water, milk, alcohol and honey can exceed the world? And can milk canals ever happen? Because it worsens in a short time! That is why intelligent people do not follow the Quran.
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