प्रेम और भक्ति
यदि हम किसी को सच्चे ह्रदय से याद करते हों तो उस तक हमारी तरंगे पहुंचेंगी ही। इस प्रकार जिसे भी याद किया जाए, वह हमारे पास दौड़ा चला आता है। इसी का नाम प्रेम है। प्रेम का दूसरा नाम भक्ति है। यह मनुष्य के भीतर एक विशेषता है, जो जितनी मनुष्य में होगी उसको उतना ही स्नेह से भरपूर व खुशहाल बनाए होगी। आनंद की तलाश में हम इधर-उधर भटकते रहते हैं। हम खाने-पीने और भोगने की चीजों को आनंद समझ बैठते हैं। यह आनंद नहीं है, इंद्रियजन्य संवेदना है।
If we remember someone with a sincere heart, then our waves will reach to him. Whosoever is remembered in this way, he comes running to us. Its name is love. Another name for love is devotion. This is a special feature within man, which will make him full of affection and happy as much as it is in man. We keep wandering here and there in search of happiness. We take the things we eat, drink and enjoy as pleasure. It is not pleasure, it is a sense sensation.
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महर्षि दयानन्द की मानवीय संवेदना महर्षि स्वामी दयानन्द अपने करुणापूर्ण चित्त से प्रेरित होकर गुरुदेव की आज्ञा लेकर देश का भ्रमण करने निकल पड़े। तथाकथित ब्राह्मणों का समाज में वर्चस्व था। सती प्रथा के नाम पर महिलाओं को जिन्दा जलाया जा रहा था। स्त्रियों को पढने का अधिकार नहीं था। बालविवाह, नारी-शिक्षा,...