तालमेल
आवश्यक नहीं है कि जो आप समझना चाहते हैं, वही लोग समझें और जो कराना चाहें उसी को करें। हर व्यक्ति की स्वतंत्र सत्ता है और अपने-अपने मौलिक व्यक्तित्व भी। दूसरों के साथ कितना तालमेल बैठता है, यह संयोग की ही बात है। नम्रता और धैर्य के साथ ही किसी को अपने अनुरूप झुकाया या बनाया जा सकता है। दबाव पशुओ तक ही काम करता है। मनुष्य की स्थिति समय ने ऊँची उठा दी है और उसे अपने मानवीय अधिकारों का बोध करा दिया है।
It is not necessary that only those people should understand what you want to understand and do what you want them to do. Every person has independent power and his own fundamental personality. How much harmony you get along with others is a matter of chance. With humility and patience, one can be bent or made to conform. Pressure works only till animals. Time has raised the status of man and made him aware of his human rights.
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महर्षि दयानन्द की मानवीय संवेदना महर्षि स्वामी दयानन्द अपने करुणापूर्ण चित्त से प्रेरित होकर गुरुदेव की आज्ञा लेकर देश का भ्रमण करने निकल पड़े। तथाकथित ब्राह्मणों का समाज में वर्चस्व था। सती प्रथा के नाम पर महिलाओं को जिन्दा जलाया जा रहा था। स्त्रियों को पढने का अधिकार नहीं था। बालविवाह, नारी-शिक्षा,...